Ek Mahaan Vyaktitva - 1 in Hindi Motivational Stories by krick books and stories PDF | एक महान व्यक्तित्व - 1

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एक महान व्यक्तित्व - 1

मेरा जन्म गाव मे एक छोटे से परिवार मे हुआ था। मेरे पापा गुजराती विषय के अध्यापक है वो एक सरकारी हाईय स्कूल मे पढ़ाते है। मेरा पुरा परिवार शिक्षा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है मेरे बडे पापा पोस्ट मे प्रेसीडेंट है मेरे चाचा सरकारी स्कूल के प्रधान अध्यापक है। जब मे पैदा हुआ था तब मेरी मम्मी ने मुझे बताया था की मे तीन महीनों तक अस्पताल मे बीमार था। मे इतना छोटा था की मुझे कुछ भी याद नही है मे ये मानता ही नही की मे तीन महीने तक बीमार हुआ होगा क्युकी मेरी और अस्पताल की कभी नही बनती लेकिन अब मम्मी बता रही है तो सच ही होगा। बचपन से ही मेरी याद शक्ति बहुत तेज है मुझे बहुत सारी बाते याद है वो भी उस समय के दृश्य के साथ। जैसे की हमारा पुराना वो घर उस के आस पास के पेड़ पौधे, घर के सामने वाला बड़ा सा आम का पेड़ उसके आगे का बड़ा सा खेत जिसे अंदर हम गीली डंडा खेला करते थे। हमारे घर के पास एक छोटा सा अमृद् का पेड़ भी था जिसे पेड़ के उपर चढ़ कर हम मीठे मीठे अमृद खाके मस्ती मजाक करते थे। मे बहुत ही छोटा था फिर भी पता नही मुझे कैसे सब कुछ याद है। मेरे मम्मी पापा के हम तीन भाई बहेन है एक छोटा भाई और एक बडी बहेन जो अभी नर्स की नौकरी करती है। मेरे चाचा और बडे पापा के परिवार को मिलाके हम सब नौ भाई बहेन की टोली थी हमने पुरा बचपन साथ मे ही बिताया है सब लोग शहेर मे रहेते है हमारा परिवार भी पहले शेहर मे ही रहते थे लेकिन बाद मे उतना मजा नही आया जितना मजा गाँव मे आता है मेरी मम्मी बहुत ही अच्छी और बहुत ही मजाकिया है और वैसे भी मम्मी को भेष बकरी को भी पालन अच्छा लगता था और कभी कभी तो मुझे ऐसा लगता है की मेरी मम्मी हम तीन भाई बहन से ज्यादा इन पशुओं से ज्यादा प्यार करती है हा वैसे गाव के पालतू पशु तो होते ही इतने प्यारे है गाय, भेष,बकरी,कुत्ते, बिल्ली ये सब बहुत प्यारे होते है और उनके बच्चे तो बहुत ही ज्यादा प्यारे और मासूम लगते है ये भी परिवार का भाग ही होता है  इस लिये शहर छोड के फिर से गाँव मे रहने का मम्मी पापा ने निर्णय किया। हमारा क्या हम तो तब बच्चे थे जहा मम्मी पापा  कहे वहा ही रहने जाना था। गाव मे कुदरत के बीच प्रकृति की गोद मे पर्यावरण से मिले चीजे खाने से गाव के लोग बहुत ही ज्यादा स्वस्थ और तंदुरुस्त होते है उसमे तो कोई शक नही है। अभी तक मेरी पढाई शरू नही हुवी थी मेरी बाल मंदीर भी नही हुई थी उसके पहले की बाते मे आपको बता रहा हूँ जो मुझे आज भी याद है। मुझे तब गाँव से ज्यादा शहेर मे रहना ज्यादा अच्छा लगता था तब मुझे गाँव, प्रकृति,पर्यावरण और कुदरत के बीच रहने के फायदे उनका महत्व पता नही था।